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दुश्मन हो कितने भी

दुश्मन हो कितने भी पापी उसके लिए सिर्फ हम अकेले ही काफी।

तेवर तो हम वक्त आने पे दिखायेंगे शहर तुम खरीद लो उस पर हुकुमत हम चलायेंगे।

मेरी ख़ामोशी को कमजोरी ना समझ ऐ काफिर गुमनाम समन्दर ही खौफ लाता है।

वो पूरी लाइफ अपनी इमेज बनाने में रह गए और हम पूरी गैलरी बना गए।

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दुनिया आपके उदहारण से बदलेगी आपकी राय से नहीं।

रुतबा तो खामोशियों का होता है अलफ़ाज़ तो बदल जाते है लोगों को देखकर।

हम समंदर हैं, हमें खामोश ही रहने दो ज़रा मचल गये, तो शहर ले डूबेंगे।

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